25 मई 09
चाहा जिसे मुक्त कर दो उसे
प्यार को तोलने की तराजू यही
मोहब्बत का मारा चला आएगा
ना आए तो समझो तुम्हारा नहीं
सोमवार, 25 मई 2009
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उठो, जागो और रुको नहीं जब तक मंजिल न मिल जाए - स्वामी विवेकानन्द
मैं दुनियां के मेयार पर पूरा नहीं उतरादुनिया मेरे मेयार पर पूरी नहीं उतरी
मैं झूठ के दरबार में सच बोल रहा हूं
हैरत है कि सर मेरा कलम क्यों नहीं होता
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इक अमीर शख्स ने हाथ जोड़कर पूछा एक गरीब से
कहीं नींद हो तो बता मुझे कहीं ख्वाब हों तो उधार दे
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छुप गया बादलों में आधा चांद
रोशनी छन रही है शाखों से
जैसे खिड़की का एक पट खोले
झांकता है कोई सलाखों से
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