
बिहार राज्य के पंद्रह जिले कोसी के कहर से कराह रहे हैं। 25 लाख से अधिक की आबादी के सामने जिंदगी बचाने, रहने और खाने-पीने का संकट मुंह बाए खड़ा है। खेत, गांव, घर सब कुछ बह गया है और साथ ही बह गए हैं बाढ़ के कहर से जूझती इस आबादी के सारे सपने। कोसी नदी ने अपनी धारा क्या बदली लोगों की जिंदगी ही बदल गई। चारों तरफ जल ही जल, पानी में डूबी सड़कें, रेल की पटरियां घऱ और फसलें सब कुछ कोसी की लहरों के हवाले। सुरक्षित जगह की तलाश में इधर से उधर दौड़ते भागते लोग। कोई अपने जानवरों को हाँक कर ले जा रहा है तो कोई अपने बच्चों को साइकिल पर बैठाए हुए भाग रहा है तो कोई अपने जीवन भर की बची हुई कमाई बैलगाड़ी पर लादे भाग रहा है। ऐसे लोगों की संख्या एक-दो या सौ-पचास नहीं बल्कि हज़ारों में है। ये लोग भाग तो रहे हैं पर उन्हें यह नहीं पता था कि जाना कहाँ है। न खाने का ठिकाना है और न सिर पर छत....बाढ़ सब कुछ लील चुकी है। लोगों की आँखों में पानी के ख़ौफ़ को साफ़ देखा जा सकता है लेकिन उनके सामने यह सवाल अब भी खड़ा है कि पानी से भागकर जाएँ तो जाएँ कहाँ। तबाही का ये मंजर इसलिए भयावह है क्योंकि करीब 54 साल बाद कोसी नदी ने इस साल अपने प्रवाह का रास्ता बदला है। वो भी कोई सौ किलोमीटर। नदियों के बहाव का रास्ता बदलना किसी कयामत से कम नहीं होता। इसका सीधा मतलब यह है कि 100 किलोमीटर के पूरे इलाके का जलमग्न हो जाना। उपर से कोसी 13 किलोमीटर की चौड़ाई में अपने पूरे प्रवाह के साथ बह रही है। यानी करीब 69,300 वर्ग किलोमीटर का वो इलाका जहां 12 दिन पहले जिंदगी का कोलाहल था, पानी की तेज रफ्तार वाली कल-कल से वहां मातमी सन्नाटा चीखने लगा है। बिहार में इस वक्त दहशत की दहलीज पर खड़े लोगों द्वारा जिंदगी बचाने की जद्दोजहद का नजारा किसी की भी आंखों में पानी ला सकता है। पिछले साल भी कोसी में सामान्य बाढ़ की स्थिति में राज्य के 500 लोगों की जानें गईं थीं और करीब 1500 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ था लेकिन इस बार नुकसान के कई गुणा ज्यादा होने की आशंका है। विडंबना यह है हर साल कोसी अपने साथ करोड़ों की संपत्ति का बहा ले जाती रही है लेकिन राज्य और केंद्र दोनों की सरकारें इसे प्राकृतिक आपदा मानकर हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती हैं। जानकारों का मानना है कि अगर नेपाल की सीमा पर कोसी नदी के तट पर सही ढंग से बांध बना लिया जाए तो कोसी के कहर पर काबू पाया जा सकता है लेकिन भारत- नेपाल के साथ 58 साल के शांतिपूर्ण रिश्ते में इसके लिए किसी तरह की पहल देखने को नहीं मिली।
आइए तस्वीरों के माध्यम से देखते हैं...कैसे कोसी का कहर लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है....













सभी फोटो साभार अमर उजाला