24 मार्च 09
एकाध महीने बाद मेरा ब्लाग साल भर का हो जाएगा...उम्मीद के हिसाब से लोगों का मेरी इस गली में आना जाना कम ही हुआ...अपनी तरफ से मैनें समाज की हर दुखती रग को छूने की कोशिश की है...थोड़ा उदास हूं कि लोगों का भरपूर प्यार नहीं मिला...समझ नहीं पा रहा हूं क्यों...लेकिन मन में एक आशा है कि आगे व्लॉगिंग की दुनिया से जुड़े लोगों का आशीर्वाद मिलेगा...लेखन की इस कला के दौरान मैनें पाया है कि लोग राजनीति से जुड़े लेखों की और रुख कम ही करते हैं...ना जाने क्या वजह है...आज ही मैनें राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र से जुड़ा एक सवाल ब्लॉग पर छोड़ा कि क्या चुनावी घोषणा पत्र मतदाता के मन को, उसके वोट को प्रभावित करते हैं लेकिन इस सवाल पर एक भी जवाब नहीं आया...थोड़ा विचलित हुआ तो शरीर का साथ छोड़ मन इधर उधर गर्दिश करने लगा...ऊल जुलूल बातें सोचने लगा...पाप पुण्य का हिसाब करने लगा...इसी चक्कर में एक कविता की कुछ लाइनें याद आ गईं...नहीं जानता किसने लिखी हैं...लेकिन अच्छी लगी इसलिए यहां लिख रहा हूं...लाइनें पाप पर आधारित हैं...पाप कह रहा है..
अगर कहीं मैं ना जन्म लेता
बनी धरा ये मसान होती
ना मंदिरों में मृदंग बजते
ना मस्जिदों में अजान होती
आप लोगों को क्या लगता है कि राजनीति से जुड़े लेखों को वो प्यार मिलता है जो किसी दूसरे विषय पर लिखे लेखों को मिलता है...मेरे हिसाब से तो नहीं...बाकी तो रब ही जाने...अभी के लिए इतना ही बाकी फिर कभी...इजाजत दीजिए।
मंगलवार, 24 मार्च 2009
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6 टिप्पणियां:
vandematram, anil ji aap is baat se kyo pareshaan hote hai ki log aap ko reply nahi kar rahe bus aap apan dil chota na kijiye or apne lekh ko likte rahiye. log aap ke in rajniti ke lekho ko likh te rahiye. kyoki geeta me shri krishana ne kaha hai ki KARM KIYE JA FHAL KI IICHA MAT RAKH.
कर्मण्येवाधिकारस्ते....अपना काम किए जाओ, कमेंट की चिंता छोडो..वो तो कभी न कभी मिल ही जाएंगे:)
lijiye ham aa gaye...!!
मेरे हिसाब से रचनाकर्म आत्म-स्फूर्त और एक निरन्तर प्रक्रिया है। पाठक अपनी रुचि के अनुसार चुनाव करते हैं। टिप्ण्णियों के आने, कम आने या नहीं आने से हमारा लेखन प्रभावित न हो, इस दिशा में भी सचेत रहने की जरूरत है। कहते हैं कि-
आओ मिलकर एक नयी शुरूआत करें।
भूलें कल को और आज की बात करें।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
एक साल होने से पहले आपको ब्लॉग की बधाई...लिखना सोचना और सुनना बना रहे यही काफी है..वरना इतने सारे उतार चढ़ावों के बीच तो हिम्मत ही टूट जाती है
अनिल जी का आपका ब्लॉग आजकल के ब्लॉग्स से काफी अलग है। बाकी लोग सिर्फ कमेंट्स के लिए लिखते हैं। वो विषय ही ऐसे उठाते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा कमेंट्स आएं। लेकिन आपके ब्ग पर आना एक अलग अनुभव है। निरंतर लिखते रहें
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