सोमवार, 26 जनवरी 2009

किसकी और कैसी दुनिया

26 जनवरी 2009
आज यूं ही बैठे बैठे मन में ख़्याल आया कि इस दुनिया के बारे में कुछ लिखा जाए। वो दुनिया जिसमें हम और आप बसते हैं। वो दुनिया, जिसमें हर पल होनी-अनहोनी के बीच जिन्दगी हांफती-डांफती रफ्तार पकड़ने की कोशिश करती नजर आती है। वो दुनिया, जिसमें तमाम रिश्ते-नाते पलते बढ़ते हैं औऱ दम तोड़ देते हैं। वो दुनिया, जहां जिन्दगी को जीने की जद्दोजहद करता इंसान पेट की खातिर कुछ भी कर गुजरने को तैयार दिखाई देता है। वो दुनिया, जहां खुद को बचाए रखने की मुहिम में इंसान दूसरों के खात्मे से परहेज नहीं करता है। वो दुनिया, जहां उसी को जीने का हक़ है जिसके पास ताकत है, रसूख है और पैसा है। वो दुनिया, जहां एक की तक़लीफ दूसरे का तमाशा होती है। वो दुनिया जहां आए दिन होने वाले बम धमाकों की गूंज अंतरआत्मा को झिंझोड़ देती है। जहां धर्म और मजहब की तलवारें मानवता का कत्ल कर इंसानियत को शर्मसार करती हैं। ये सब सोचते सोचते ख्याल आया कि दुनिया का ऐसा ही रूप तो नहीं है। इससे इतर भी कोई दुनिया है। वो दुनिया जहां प्यार और मोहब्बत के फूल खिलते हैं। जहां रिश्तों की मिठास मन के सूखे धरातल पर बारिश की बौछार की भांति गिरकर आत्मा को तृप्त कर जाती है। वो दुनिया जहां मां के आंचल तले मिलने वाली ममता की छांव हर दर्द का मरहम बन जाती है। जहां पिता का दुलार और प्यार से सर पर गिरा हाथ चट्टानों का सीना चाक कर देने की कूवत पैदा कर देता है। वो दुनिया जहां कलाई पर प्यार से बांधा गया एक धागा जीवन भर की सुरक्षा का वादा बन जाता है। वो दुनिया जहां ढाई अक्षर का एक शब्द लोगों के लिए इबादत बन जाता है। इसके अलावा और भी बहुत कुछ है जिससे दुनिया को शब्दों में बांध देमे को जी चाहता है लेकिन क्या करूं शब्द चंचल मन की गहराइयों में कहीं दूर दफन हो गए हैं। मेरा सवाल अभी भी अनुत्तरित है कि आखिर ये किसकी और कैसी दुनिया है....

दीन दुनिया से बेखबर ये एक अलग दुनिया है
ये ग़म की दुनिया है...ये खुशी की दुनिया है
ये भोले भाले और लाचार लोगों की दुनिया है
ये घर से बेघर हुए लोगों की दुनिया है
ये पल में रूठते और पल में मानते लोगों की दुनिया है
ये बच्चों की दुनिया है...ये बूढ़ों की दुनिया है
ये हालात के मारे लोगों की दुनिया है
ये अपनों से हारे लोगों की दुनिया है
कभी दिल झांकता है खुद ही अपने झरोखे में
तो खुद ही सोचता है कि आखिर ये कैसी दुनिया है....

3 टिप्‍पणियां:

ghughutibasuti ने कहा…

गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ।
अच्छा लिखा है। यह अच्छी बुरी, मिली जुली दुनिया है।
घुघूती बासूती

Aadarsh Rathore ने कहा…

kabhi kabhi man karta hai ki ye dunia bhram hai. hum yoon hi is naatak mein ulajhe pade hain, man karta hai ki jald hi is chakkar se mukt hua jaaye, phir man karta hai ki nahin, kitni achhi duniya hai ye, iske har rang ko jeena hai, poori dunia ghoomani hai, iski sundarta dekhni hai, duaa nikalti hai ki kaash aadmi ki umra 500 saal hoti, taaki aaram se dunia ke kone-kone mein jaakar ghoom sake....

आलोक वर्मा ने कहा…

...क्या बात कही है....बहुत खूब!.....आपको जमाना गौर से सुन रहा है।

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