औरैया जिले में एक इंजीनियर उत्तर प्रदेश की मर चुकी कानून व्यवस्था और बेशर्म हो चुकी खादी के कहर का शिकार हो गया। हत्या की पहली और ठोस वजह जो सामने आई उसने हमारी राजनीति के एक और घिनौने चेहरे को उजागर कर दिया। जब वही लोग हमारी जान के दुश्मन बन जाएं जिन्हें हमने ही चुनकर विधानसभा में भेजा है तो फिर हमारा और इस प्रदेश के साथ साथ देश का भी ईश्वर ही मालिक है। मैनें वो दृश्य टीवी पर देखे हैं, जिनमें मनोज गुप्ता की पत्नी जार जार रो रही हैं, उनका बेटा प्रतीक और बेटी जूही उनके आंसू पोंछ रहे हैं। ये दृश्य देख यकीन मानिए बहुत रोकने के बावजूद मेरी आंखें भर आईं। उस मां की बेबसी और लाचारी के बारे में सोचिए, जिसने अपने बेटे की मौत से दो दिन पहले ही उसे लंबी उम्र का आशीर्वाद दिया था। मनोज गुप्ता का हंसता खेलता परिवार हमारी सड़ गल चुकी राजनीतिक व्यवस्था की भेंट चढ़ गया। मेरे जैसे न जाने कितने लोगों ने इस मामले पर अपने विचार लिखे होंगे लेकिन यकीन मानिए हालात इससे भी कहीं ज्यादा बुरे हैं। मनोज गुप्ता के परिवार को दुखों के सागर में डुबोने वाला कोई और नहीं बल्कि हमारी सरकार का ही एक नुमाइंदा है। उसके इस कृत्य पर अब शर्मिन्दा हो रही सरकार कानूनी कार्रवाई की बात कर रही है। इस परिवार को मुआवजा देकर,दिलासा देकर अपने गुनाह का बोझ हल्का करने की कोशिश कर रही है। सत्ता के मद में चूर ऐसे लोगों से कोई पूछे ज़रा कि क्या कोई मुआवज़ा,कोई दिलासा इन आंसुओं की कीमत चुका सकता है। क्या इस परिवार को मिले ज़ख्म शोक जताने भर से भरे जा सकते हैं। निश्चय ही नहीं। मनोज के बेटे प्रतीक ने प्रदेश सरकार की मुआवजा राशि लौटाकर उसके शर्मसार चेहरे पर एक और करारा तमाचा मारा है। साफ है कि इस परिवार को न्याय चाहिए। आरोपी विधायक की मात्र गिरफ्तारी करा लेने से काम नहीं चलने वाला है। मायावती को ये बताना होगा कि उनके जन्म दिन के नाम पर धन उगाही क्यों की जाती है। क्यों मासूमों की जान से खिलवाड़ किया जाता है। मायावती ने मुलायम के जिस गुण्डाराज से निजात दिलाने के नाम पर जनता से वोट मांगा था वही ताकतें अब उनकी पार्टी की शान बनी हुई हैं। दो सप्ताह पहले बसपा ने लखनऊ के दबंग अरुण शंकर उर्फ अन्ना को पार्टी में शामिल किया है। इससे पहले सपा के सांसद और बाहुबली अतीक अहमद और अफजाल अंसारी को हरी झंडी दी गई। कांग्रेस के टिकट पर जीते बाहुबली अजय प्रताप सिंह उर्फ भैया कांग्रेस छोड़कर विधानसभा से इस्तीफा दे बसपा के साथ हो लिए। इसके अलावा उत्तर प्रदेश लोकतांत्रिक कांग्रेस के नेता और बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बेटे भीष्म शंकर तिवारी उपचुनाव में बसपा के सांसद चुने गए हैं। हरिशंकर के दूसरे बेटे विनय शंकर को बलिया उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया गया था। बाहुबली विधायक डीपी यादव ने अपनी लोक परिवर्तन पार्टी का बसपा में विलय कर दिया। लोकजनशक्ति पार्टी के एकमात्र बाहुबली विधायक धनंजय सिंह भी बसपा में शामिल हो गए। ये वही लोग हैं जो जाने अनजाने यूपी की जनता के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। इन्हें शह देकर मायावती किस उत्तर प्रदेश का निर्माण करना चाहती हैं। ये कम से कम हमारी समझ से तो परे है।
अनिल कुमार वर्मा
शनिवार, 27 दिसंबर 2008
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