शुक्रवार, 21 मई 2010

सोनिया गांधी यानि देश का चेहरा...


21 मई...दिल्ली की वीरभूमि और वीरभूमि पर देश की नहीं दुनिया की ताकतवर हस्तियों में से एक हस्ती...19 साल पहले यही वो तारीख थी...जो देश के सबसे बड़े राजनीतिक घराने की बहू के राजनीति में जाने की नींव बी...ये जानते हुए भी कि उसे राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है...अगर कहें कि 21 मई ना होती...राजीव ना गए होते तो सोनिया शायद अब भी राजनीति से दूरी बनाए रखतीं...बहरहाल 19 साल बाद ये बहस बेमानी है क्योंकि सोनिया अपने सबसे ताकतवर किरदार में हैं...वक्त ने उन्हें भारतीय राजनीति की जरूरत बना दिया है...उससे भी बड़ी जरूरत कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार की जरूरत...जिसकी वो ऑक्सीजन हैं...सोनिया यानि सरकार सरकार यानि सोनिया...देश की हुकूमत का एक पत्ता भी खड़कने से पहले ये देखता है कि सोनिया का इशारा है या नहीं...ये भी कि उसे कब और कितना खड़कना है...यूपीए सरकार पार्ट-1 के पांच साल और पार्ट-2 का ये पहला साल...सोनिया की जिम्मेदारियां बढ़ी ही हैं और इन चुनौतियों से पार पाने की काबिलियत ही उनके कद में इजाफा भी कर रही है...अंतर्राष्ट्रीय आंकड़े उन्हें दुनिया की 50 ताकतवर महिलाओं में यूं ही नहीं गिनते...बतौर यूपीए चेयर पर्सन वो सरकार और जनता के बीच की कड़ी बन चुकी हैं...वो सरकार को सत्ता के नशे में चूर नहीं होने देतीं और जनता का भी भरोसा बनाए रखती हैं कि सरकार उसकी है और उसके भले की ही सोचेगी...यूपीए पार्ट-1 में सरकार की तीन बड़ी उपलब्धियों के पीछे सोनिया ही थीं...चाहे वो मुक्त व्यापार समझौता रहा हो चाहे न्यूक्लियर समझौता या फिर रोजगार गारंटी स्कीम...सरकार मजबूत इरादे से मैदान में उतरी तो पीछे सबसे बड़ी ताकत सोनिया ही थीं...यूपीए पार्ट-2 में भी जब महिला आरक्षण का मुद्दा आया तो ये सोनिया की ही इच्छाशक्ति थी कि अब टालमटोल बिल्कुल नहीं...सरकार वापस आगे बढी और राज्यसभा में बिल पास हुआ...जातीय जनगणना के सवाल पर भी जब सरकार ने विपक्ष की हां को हां कहा तब भी धन्यवाद सोनिया गांधी को ही दिया गया...राजनीति मजबूरियों को खुल कर कहने से रोकती है लेकिन अब राजनीतिक विरोधी भी मानने लगे हैं कि सोनिया यूपीए सरकार का मानवीय चेहरा हैं...अवाम जब सरकार से नाउम्मीद हो जाती है तब वो सोनिया की ओर देखती है क्योंकि उसे यकीन हो चला है कि उसके माथे की लकीरों को देखकर यही चेहरा है जिसके माथे पर सबसे ज्यादा सिलवटें पड़ती हैं...
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