शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009

तेलंगाना को जानो...

12 दिसम्बर 09
पिछले कुछ दिनों से पृथक तेलंगाना राज्य को लेकर पूरे देश में जबरदस्त हलचल मची हुई है.आंध्र प्रदेश जल रहा है तो राजनीतिक हलके भी सुलग रहे हैं.कहीं हां ते कहीं ना का शोर कानों को परेशान कर रहा है.इसी परेशानी के बीच ये जानने की इच्छा जोर मारने लगी कि आखिर तेलंगाना है क्या और क्यों इसे लेकर इतना शोर शराबा मचाया जा रहा है.सवालों के जवाब तलाशने के लिए नेट पर बैठा तो बीबीसी हिन्दी में ये लेख मिला.सोचा ब्लागर भाईयों के साथ ये जानकारी शेयर की जाए.इसलिए पूरा लेख नीचे प्रकाशित कर रहा हूं.

तेलंगाना क्या है?

अभी जिस क्षेत्र को तेलंगाना कहा जाता है,उसमें आंध्र प्रदेश के 23 ज़िलों में से 10 ज़िले आते हैं.मूल रूप से ये निज़ाम की हैदराबाद रियासत का हिस्सा था.इस क्षेत्र से आंध्र प्रदेश की 294 में से 119 विधानसभा सीटें आती हैं.

तेलंगाना आंध्र का हिस्सा कब बना?

1948 में भारत ने निज़ाम की रियासत का अंत कर दिया और हैदराबाद राज्य का गठन किया गया.1956 में हैदराबाद का हिस्सा रहे तेलंगाना को नवगठित आंध्र प्रदेश में मिला दिया गया.निज़ाम के शासनाधीन रहे कुछ हिस्से कर्नाटक और महाराष्ट्र में मिला दिए गए.भाषा के आधार पर गठित होने वाला आंध्र प्रदेश पहला राज्य था.

तेलंगाना आंदोलन कब शुरू हुआ?

चालीस के दशक में कामरेड वासुपुन्यया कि अगुवाई में कम्‍युनिस्टों ने पृथक तेलंगाना की मुहिम की शुरूआत की थी.उस समय इस आंदोलन का उद्देश्य था भूमिहीनों कों भूपति बनाना.छह वर्षों तक यह आंदोलन चला लेकिन बाद में इसकी कमर टूट गई और इसकी कमान नक्सलवादियों के हाथ में आ गई.आज भी इस इलाक़े में नक्सलवादी सक्रिय हैं.1969 में तेलंगाना आंदोलन फिर शुरू हुआ था.दरअसल दोनों इलाक़ों में भारी असमानता है. आंध्र मद्रास प्रेसेडेंसी का हिस्सा था और वहाँ शिक्षा और विकास का स्तर काफ़ी ऊँचा था जबकि तेलंगाना इन मामलों में पिछड़ा है.तेलंगाना क्षेत्र के लोगों ने आंध्र में विलय का विरोध किया था. उन्हें डर था कि वो नौकरियों के मामले में पिछड़ जाएंगे.अब भी दोनों क्षेत्र में ये अंतर बना हुआ है. साथ ही सांस्कृतिक रूप से भी दोनों क्षेत्रों में अंतर है.तेलंगाना पर उत्तर भारत का ख़ासा असर है.

1969 में क्या हुआ था?

शुरुआत में तेलंगाना को लेकर छात्रों ने आंदोलन शुरू किया था लेकिन इसमें लोगों की भागीदारी ने इसे ऐतिहासिक बना दिया.इस आंदोलन के दौरान पुलिस फ़ायरिंग और लाठी चार्ज में साढे तीन सौ से अधिक छात्र मारे गए थे.उस्मानिया विश्वविद्यालय इस आंदोलन का केंद्र था.उस दौरान एम चेन्ना रेड्डी ने 'जय तेलंगाना' का नारा उछाला था लेकिन बाद में उन्होंने अपनी पार्टी तेलंगाना प्रजा राज्यम पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया.इससे आंदोलन को भारी झटका लगा.इसके बाद इंदिरा गांधी ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया था.1971 में नरसिंह राव को भी आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था क्योंकि वे तेलंगाना क्षेत्र के थे.

के चंद्रशेखर राव की क्या भूमिका है?
नब्बे के दशक में के चंद्रशेखर राव तेलुगु देशम पार्टी के हिस्सा हुआ करते थे.1999 के चुनावों के बाद चंद्रशेखर राव को उम्मीद थी कि उन्हें मंत्री बनाया जाएगा लेकिन उन्हें डिप्टी स्पीकर बनाया गया.वर्ष 2001 में उन्होंने पृथक तेलंगाना का मुद्दा उठाते हुए तेलुगु देशम पार्टी छोड़ दी और तेलंगाना राष्ट्र समिति का गठन कर दिया.2004 में वाई एस राजशेखर रेड्डी ने चंद्रशेखर राव से हाथ मिला लिया और पृथक तेलंगाना राज्य का वादा किया लेकिन बाद में उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया. इसके बाद तेलंगाना राष्ट्र समिति के विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया और चंद्रशेखर राव ने भी केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया था.

तेलंगाना राज्य का गठन कैसे होगा?

ये प्रक्रिया काफ़ी जटिल है.सबसे पहले राज्य विधानसभा इस आशय का प्रस्ताव पारित करेगी फिर राज्य के बंटवारे का एक विधेयक तैयार होगा और संसद के दोनों सदनों में ये पारित होगा.इसके बाद राष्ट्रपति ये राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए जाएगा. इसके बाद संसाधनों के बंटवारे की कठिन प्रक्रिया शुरू होगी.
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