मंगलवार, 9 मार्च 2010
दिल को मिला सुकून...
09 मार्च 10
देश की आधी आबादी को जिस मौके का इंतजार 14 सालों से था...वो आखिरकार आ ही गया...पुरुष प्रधान समाज में अपने हक की लड़ाई लड़ने की उसकी ताकत में अब इज़ाफा होता नजर आ रहा है...जी हां..महिला आरक्षण बिल कदम दर कदम अपनी मंजिल की तरफ बढ़ चला है...राज्यसभा की मुश्किलों से उसने पार पा लिया है...233 सदस्यों वाली राज्यसभा में 186 के भारी बहुमत से महिला आरक्षण बिल पास हो गया है...अब उसकी अगली जंग लोकसभा में होनी है...ये अलग बात है कि इस मुकाम तक पहुंचने में इस बिल ने राज्यसभा के भीतर वो सब कुछ होते देखा..जिससे देश की गरिमा को धक्का लगा...जिस तरह से बिल का विरोध कर रहे मुठ्ठी भर पुरुषों ने राज्यसभा के सभापति के आसन के पास जाकर बिल की प्रतियां फाड़ीं और माइक उखाड़ने की कोशिश की...जिस तरह से लगातार हंगामा कर रहे सांसदों को सस्पेंड किया गया...ये सब कुछ शर्मसार कर देने वाला था...संतोष इस बात का है कि संसदीय गरिमा पर कालिख पोतने वाली इन घटनाओं के बाद जो हासिल हुआ वो सार्थक है...मंजिल अभी दूर है लेकिन वहां तक पहुंचने का एहसास ही दिल को सुकून से भर देता है...लोकसभा के बाद देश की कम से कम 15 विधानसभाओं ने भी इस बिल को पास होना होगा...उसके बाद ही ये बिल राष्ट्रपति के पास ये दस्तखत होने जाएगा और फिर उसे कानून का रुतबा हासिल होगा...ये अलग बात है कि इस मंजिल का पहला पड़ाव पार करते ही देश भर में महिलाएं जश्न के माहौल मे डूब गई हैं...सही भी है...एक नई सुबह का सूरज दस्तक जो दे रहा है...
गुरुवार, 4 मार्च 2010
मौत का भंडारा....
04 मार्च 2010
बस एक लापरवाही और जिंदगियां मौत के मातम में डूब जाती हैं...हादसे होते हैं लेकिन कोई सबक नहीं लिया जाता...जिसकी गवाह हैं प्रतापगढ़ की ये तस्वीरें...जो मौत पर मातम की जीती जागती गवाह हैं...
ये नजारा कुंडा में बने राम जानकी मंदिर का है..जो गुरुवार की दोपहर चीखो-पुकार के शोर में ऐसा डूबा कि फिर उबर नहीं पाया...मंदिर से सटे बाबा कृपालु जी महाराज के आश्रम में एक भंडारे का आयोजन किया गया था...मौका था बाबा की पत्नी की बरसी का...इस कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार दो तीन दिन पहले से ही हो रहा था...नतीजा ये हुआ कि हजारों की संख्या में लोग बाबा के आश्रम जा पहुंचे...कार्यक्रम खाने के साथ साथ कपड़े और बर्तन बांटने का भी था...लोग उत्सुकता से अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे लेकिन जब बर्तन और कपड़े बंटने शुरू हुए तो लोग धीरज खो बैठे और धक्कामुक्की पर उतर आए...किसी का हाथ खाली ना रह जाए...इसलिए हर कोई आगे लपक कर चीजें हासिल कर लेना चाहता था लेकिन वो इस बात से अंजान थे कि उनकी ये कोशिश कितने खौफ़नाक हादसे को निमंत्रण देने वाली है...हजारों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बाबा के आश्रम में तैनात सुरक्षा कर्मी ही मौजूद थे क्योंकि प्रशासन से इस कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं ली गई थी....सुरक्षाकर्मियों ने जब लोगों पर नियंत्रण के लिए लाठियां चलाईं तो भीड़ भड़क गई और आश्रम में भगदड़ मच गई...आश्रम में चार गेट थे लेकिन उनमें से तीन बंद थे...एक गेट जो खुला था...भीड़ लाठियों से बचने के लिए उसी तरफ भागी...इसी दौरान गेट का एक हिस्सा गिर गया और उसी के साथ भीड़ का हिस्सा बने लोग भी एक एक कर जमीन पर गिरने लगे...पीछे वाले गिरे हुए लोगों को रौंद कर आगे बढ़ चले और जब ये सिलसिला रूका तो लाशों का ढेर लग चुका था और 60 से ज्यादा जिंदगियों पर मौत की मुहर लग चुकी थी...35 बच्चे और 26 महिलाएं अपने अपने परिवार में मातम की वजह बन चुके थे जबकि सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हो चुके थे...जाहिर है...कार्यक्रम बड़ा था लेकिन इंतजाम नाकाफी थे और यही बदइंतजामी एक बड़े हादसे की वजह बन गई...हमेशा की तरह इस हादसे की जांच के लिए भी कमेटी बना दी गई है लेकिन सवाल वही है कि क्या ये कमेटी इस बात को पुख्ता कर सकती है कि इस हादसे से सबक लिया जाएगा और आगे से भगदड़ की ऐसी घटनाएं नहीं होंगी क्योंकि इतिहास तो यही कहता है कि सबक नहीं लिया जाता....
मार्च, 2010 - उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में कृपालु महाराज के आश्रम में मची भगदड़ में 60 लोगों की जान गई.
जनवरी, 2010 - कोलकाता के पास चल रहे गंगासागर मेले में मची भगदड़ से कम से कम सात तीर्थयात्री मारे गए हैं.
दिसंबर, 2009 - गुजरात में धौराजी के श्रीनाथजी मंदिर में भगदड़ मचने से नौ लोगों की मौत हो गई और 15 से ज़्यादा घायल हैं.
सितंबर, 2008 - राजस्थान के चामुंडा मंदिर में मची भगदड़ में 224 लोगों की मौत हो गई थी.
अगस्त, 2008 - हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में भूस्खलन की अफ़वाह के बाद भगदड़ मच गई. इसमें 145 लोगों की मौत हो गई.
नवंबर, 2006 - उड़ीसा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर में चार लोगों की मौत हो गई और 18 घायल हो गए. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि अधिकारियों ने मंदिर का दरवाज़ा खोलने में देर कर दी जिसके कारण भगदड़ मच गई.
जनवरी, 2005 - महाराष्ट्र के दूरवर्ती मंढारा देवी मंदिर में भगदड़ मचने से 265 लोग मारे गए. सँकड़ा रास्ता होने के कारण हताहतों की संख्या बढ़ गई. मृतकों में बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की थी.
अगस्त, 2003 - नासिक में कुंभ मेले के दौरान मची भगदड़ में 30 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई.
1986 - हरिद्वार में एक धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ में 50 लोगों की मौत हो गई.
1954 - इलाहाबाद में कुंभ मेले के दौरान भगदड़ का भयान मंजर देखने को मिला. इसमें लगभग 800 लोगों की जानें गईं.
( फोटो और आंकड़े सौजन्य बीबीसी )
बस एक लापरवाही और जिंदगियां मौत के मातम में डूब जाती हैं...हादसे होते हैं लेकिन कोई सबक नहीं लिया जाता...जिसकी गवाह हैं प्रतापगढ़ की ये तस्वीरें...जो मौत पर मातम की जीती जागती गवाह हैं...
ये नजारा कुंडा में बने राम जानकी मंदिर का है..जो गुरुवार की दोपहर चीखो-पुकार के शोर में ऐसा डूबा कि फिर उबर नहीं पाया...मंदिर से सटे बाबा कृपालु जी महाराज के आश्रम में एक भंडारे का आयोजन किया गया था...मौका था बाबा की पत्नी की बरसी का...इस कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार दो तीन दिन पहले से ही हो रहा था...नतीजा ये हुआ कि हजारों की संख्या में लोग बाबा के आश्रम जा पहुंचे...कार्यक्रम खाने के साथ साथ कपड़े और बर्तन बांटने का भी था...लोग उत्सुकता से अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे लेकिन जब बर्तन और कपड़े बंटने शुरू हुए तो लोग धीरज खो बैठे और धक्कामुक्की पर उतर आए...किसी का हाथ खाली ना रह जाए...इसलिए हर कोई आगे लपक कर चीजें हासिल कर लेना चाहता था लेकिन वो इस बात से अंजान थे कि उनकी ये कोशिश कितने खौफ़नाक हादसे को निमंत्रण देने वाली है...हजारों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बाबा के आश्रम में तैनात सुरक्षा कर्मी ही मौजूद थे क्योंकि प्रशासन से इस कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं ली गई थी....सुरक्षाकर्मियों ने जब लोगों पर नियंत्रण के लिए लाठियां चलाईं तो भीड़ भड़क गई और आश्रम में भगदड़ मच गई...आश्रम में चार गेट थे लेकिन उनमें से तीन बंद थे...एक गेट जो खुला था...भीड़ लाठियों से बचने के लिए उसी तरफ भागी...इसी दौरान गेट का एक हिस्सा गिर गया और उसी के साथ भीड़ का हिस्सा बने लोग भी एक एक कर जमीन पर गिरने लगे...पीछे वाले गिरे हुए लोगों को रौंद कर आगे बढ़ चले और जब ये सिलसिला रूका तो लाशों का ढेर लग चुका था और 60 से ज्यादा जिंदगियों पर मौत की मुहर लग चुकी थी...35 बच्चे और 26 महिलाएं अपने अपने परिवार में मातम की वजह बन चुके थे जबकि सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हो चुके थे...जाहिर है...कार्यक्रम बड़ा था लेकिन इंतजाम नाकाफी थे और यही बदइंतजामी एक बड़े हादसे की वजह बन गई...हमेशा की तरह इस हादसे की जांच के लिए भी कमेटी बना दी गई है लेकिन सवाल वही है कि क्या ये कमेटी इस बात को पुख्ता कर सकती है कि इस हादसे से सबक लिया जाएगा और आगे से भगदड़ की ऐसी घटनाएं नहीं होंगी क्योंकि इतिहास तो यही कहता है कि सबक नहीं लिया जाता....
मार्च, 2010 - उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में कृपालु महाराज के आश्रम में मची भगदड़ में 60 लोगों की जान गई.
जनवरी, 2010 - कोलकाता के पास चल रहे गंगासागर मेले में मची भगदड़ से कम से कम सात तीर्थयात्री मारे गए हैं.
दिसंबर, 2009 - गुजरात में धौराजी के श्रीनाथजी मंदिर में भगदड़ मचने से नौ लोगों की मौत हो गई और 15 से ज़्यादा घायल हैं.
सितंबर, 2008 - राजस्थान के चामुंडा मंदिर में मची भगदड़ में 224 लोगों की मौत हो गई थी.
अगस्त, 2008 - हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में भूस्खलन की अफ़वाह के बाद भगदड़ मच गई. इसमें 145 लोगों की मौत हो गई.
नवंबर, 2006 - उड़ीसा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर में चार लोगों की मौत हो गई और 18 घायल हो गए. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि अधिकारियों ने मंदिर का दरवाज़ा खोलने में देर कर दी जिसके कारण भगदड़ मच गई.
जनवरी, 2005 - महाराष्ट्र के दूरवर्ती मंढारा देवी मंदिर में भगदड़ मचने से 265 लोग मारे गए. सँकड़ा रास्ता होने के कारण हताहतों की संख्या बढ़ गई. मृतकों में बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की थी.
अगस्त, 2003 - नासिक में कुंभ मेले के दौरान मची भगदड़ में 30 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई.
1986 - हरिद्वार में एक धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ में 50 लोगों की मौत हो गई.
1954 - इलाहाबाद में कुंभ मेले के दौरान भगदड़ का भयान मंजर देखने को मिला. इसमें लगभग 800 लोगों की जानें गईं.
( फोटो और आंकड़े सौजन्य बीबीसी )
बुधवार, 3 मार्च 2010
जब आश्चर्य भय औऱ विस्मय में बदल गया...
03 मार्च 2010
ये नज़ारा किसी की भी आंखों को सुकून पहुंचाने के लिए काफी है...हैदराबाद में बुधवार से शुरू हुए एअर शो के दौरान इस तरह के नजारे लोग अपनी आंखों में उतार रहे थे और ये करतब दिखा रहे पायलटों की तारीफ कर हैरत जता रहे थे लेकिन इसी बीच कुछ ऐसा घटा...जिसने उनकी हैरत को भय और विस्मय में तब्दील कर दिया...इन्हीं में से एक विमान लहराता-हिचकोले खाता एक रिहाईशी इलाके में जा गिरा...तेज धमाके के साथ वातावरण में मौत का सन्नाटा पसर गया...चारों तरफ चीख-पुकार मच गई...विमान बेगमपेट हवाई अड्डे के पास बोमनपल्ली इलाके की एक तीन मंजिला इमारत पर गिरा था...हादसे में विमान के पायलट और को-पायलट की मौके पर ही मौत हो गई...जबकि चार लोग घायल हो गए...हादसे के बाद जो नजारा सामने आया वो कुछ ऐसा था...
हैदराबाद में जो ट्रेनर विमान हादसे का शिकार हुआ वो एचजेटी किरण है...ये एचजेटी विमान पायलटों के सेकेंड लेवल ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल होते हैं...ये एअरक्राफ्ट 2003 से ही नौसेना की एक्रोबेटिक्स टीम का अहम हिस्सा रहा है..दुनिया में सिर्फ दो देशों के पास ही नौसेना की एक्रोबैटिक्स टीम है...एक अमेरिका और दूसरा भारत...ये विमान 46 साल पुराने हैं...1964 में पहली बार इस विमान ने उड़ान भरी थी...1989 के बाद से कुल 251 किरण विमान देश की रक्षा सेवा के लिए इस्तेमाल मे हैं...1990 से अब तक इन विमानों के इंजन में 11 बार आग लग चुकी है...रक्षा विभाग के अहम सर्वे में इन विमानों में इस्तेमाल रेडियो ट्रांसमिशन की क्वालिटी को घटिया बताया गया है...एक अनुमान के मुताबिक इस एअरक्राफ्ट की अधिकतम उम्र 40 साल होती है यानि 40 साल के बाद उन्हें प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल में नहीं लाया जाना चाहिए लेकिन ऐसा हो रहा है...वो भी तब जब एडवांस तकनीक के हॉक विमान खरीदने का फैसला 15 से 20 साल पहेल ही हो चुका है...सवाल ये है कि आखिर इसके बावजूद इस विमान को इस्तेमाल में लाकर पायलटो की जान से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है...इसका जवाबदेह कौन है...नौसेना ने इस हादसे की जांच का फरमान जारी कर दिया है लेकिन क्या जांच में इस सवाल का जवाब सामने आएगा....
( सभी फोटो सौजन्य बीबीसी )
ये नज़ारा किसी की भी आंखों को सुकून पहुंचाने के लिए काफी है...हैदराबाद में बुधवार से शुरू हुए एअर शो के दौरान इस तरह के नजारे लोग अपनी आंखों में उतार रहे थे और ये करतब दिखा रहे पायलटों की तारीफ कर हैरत जता रहे थे लेकिन इसी बीच कुछ ऐसा घटा...जिसने उनकी हैरत को भय और विस्मय में तब्दील कर दिया...इन्हीं में से एक विमान लहराता-हिचकोले खाता एक रिहाईशी इलाके में जा गिरा...तेज धमाके के साथ वातावरण में मौत का सन्नाटा पसर गया...चारों तरफ चीख-पुकार मच गई...विमान बेगमपेट हवाई अड्डे के पास बोमनपल्ली इलाके की एक तीन मंजिला इमारत पर गिरा था...हादसे में विमान के पायलट और को-पायलट की मौके पर ही मौत हो गई...जबकि चार लोग घायल हो गए...हादसे के बाद जो नजारा सामने आया वो कुछ ऐसा था...
हैदराबाद में जो ट्रेनर विमान हादसे का शिकार हुआ वो एचजेटी किरण है...ये एचजेटी विमान पायलटों के सेकेंड लेवल ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल होते हैं...ये एअरक्राफ्ट 2003 से ही नौसेना की एक्रोबेटिक्स टीम का अहम हिस्सा रहा है..दुनिया में सिर्फ दो देशों के पास ही नौसेना की एक्रोबैटिक्स टीम है...एक अमेरिका और दूसरा भारत...ये विमान 46 साल पुराने हैं...1964 में पहली बार इस विमान ने उड़ान भरी थी...1989 के बाद से कुल 251 किरण विमान देश की रक्षा सेवा के लिए इस्तेमाल मे हैं...1990 से अब तक इन विमानों के इंजन में 11 बार आग लग चुकी है...रक्षा विभाग के अहम सर्वे में इन विमानों में इस्तेमाल रेडियो ट्रांसमिशन की क्वालिटी को घटिया बताया गया है...एक अनुमान के मुताबिक इस एअरक्राफ्ट की अधिकतम उम्र 40 साल होती है यानि 40 साल के बाद उन्हें प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल में नहीं लाया जाना चाहिए लेकिन ऐसा हो रहा है...वो भी तब जब एडवांस तकनीक के हॉक विमान खरीदने का फैसला 15 से 20 साल पहेल ही हो चुका है...सवाल ये है कि आखिर इसके बावजूद इस विमान को इस्तेमाल में लाकर पायलटो की जान से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है...इसका जवाबदेह कौन है...नौसेना ने इस हादसे की जांच का फरमान जारी कर दिया है लेकिन क्या जांच में इस सवाल का जवाब सामने आएगा....
( सभी फोटो सौजन्य बीबीसी )
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