03 मार्च 2010
ये नज़ारा किसी की भी आंखों को सुकून पहुंचाने के लिए काफी है...हैदराबाद में बुधवार से शुरू हुए एअर शो के दौरान इस तरह के नजारे लोग अपनी आंखों में उतार रहे थे और ये करतब दिखा रहे पायलटों की तारीफ कर हैरत जता रहे थे लेकिन इसी बीच कुछ ऐसा घटा...जिसने उनकी हैरत को भय और विस्मय में तब्दील कर दिया...इन्हीं में से एक विमान लहराता-हिचकोले खाता एक रिहाईशी इलाके में जा गिरा...तेज धमाके के साथ वातावरण में मौत का सन्नाटा पसर गया...चारों तरफ चीख-पुकार मच गई...विमान बेगमपेट हवाई अड्डे के पास बोमनपल्ली इलाके की एक तीन मंजिला इमारत पर गिरा था...हादसे में विमान के पायलट और को-पायलट की मौके पर ही मौत हो गई...जबकि चार लोग घायल हो गए...हादसे के बाद जो नजारा सामने आया वो कुछ ऐसा था...
हैदराबाद में जो ट्रेनर विमान हादसे का शिकार हुआ वो एचजेटी किरण है...ये एचजेटी विमान पायलटों के सेकेंड लेवल ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल होते हैं...ये एअरक्राफ्ट 2003 से ही नौसेना की एक्रोबेटिक्स टीम का अहम हिस्सा रहा है..दुनिया में सिर्फ दो देशों के पास ही नौसेना की एक्रोबैटिक्स टीम है...एक अमेरिका और दूसरा भारत...ये विमान 46 साल पुराने हैं...1964 में पहली बार इस विमान ने उड़ान भरी थी...1989 के बाद से कुल 251 किरण विमान देश की रक्षा सेवा के लिए इस्तेमाल मे हैं...1990 से अब तक इन विमानों के इंजन में 11 बार आग लग चुकी है...रक्षा विभाग के अहम सर्वे में इन विमानों में इस्तेमाल रेडियो ट्रांसमिशन की क्वालिटी को घटिया बताया गया है...एक अनुमान के मुताबिक इस एअरक्राफ्ट की अधिकतम उम्र 40 साल होती है यानि 40 साल के बाद उन्हें प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल में नहीं लाया जाना चाहिए लेकिन ऐसा हो रहा है...वो भी तब जब एडवांस तकनीक के हॉक विमान खरीदने का फैसला 15 से 20 साल पहेल ही हो चुका है...सवाल ये है कि आखिर इसके बावजूद इस विमान को इस्तेमाल में लाकर पायलटो की जान से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है...इसका जवाबदेह कौन है...नौसेना ने इस हादसे की जांच का फरमान जारी कर दिया है लेकिन क्या जांच में इस सवाल का जवाब सामने आएगा....
( सभी फोटो सौजन्य बीबीसी )
बुधवार, 3 मार्च 2010
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1 टिप्पणी:
ओह! अति दुखद!
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