गुरुवार, 15 मई 2008

बदलता क्रिकेट

15 मई 2008
बुधवार की शाम मैं अपने एक रिश्तेदार के घर मिलने गया। काफी दिनों के बाद पहुंचा था सो मुझे भव्य स्वागत की उम्मीद थी लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। इसका कारण बना आईपीएल टूर्नामेंट। जब मैं वहां पहुंचा तो मुंबई इंडियन्स और चैन्नई के बीच मैच चल रहा था। घर का हर सदसय बच्चो से लेकर बुजुर्ग तक टेलीविजन सेट से चिपके नजर आए। औपचारिक स्वागत के बाद सभी की निगाहें वापस टेलीविजन सेट पर चिपक गईं। अभी तक मैं आईपीएल के प्रभाव के बारे में सुन रहा था लेकिन प्रत्यक्ष देखा तो मेरे होश ही उड़ गए। अपनों के बीच में मैं बेगाना बनकर रह गया। दरअसल आईपीएल ने तीन घंटे में मनोरंजन की जिजीविषा को उस चरम पर पहुंचा दिया है जिसे कोई भी हाथ से जाने नहीं देना चाहता। क्रिकेट कहीं पीछे छूट गया है, विशुद्ध मनोरंजन हावी है। तीन घंटे का जोरदार तमाशा। क्रिकेट खिलाड़ियों पर फिल्मी सितारों का जलवा भारी है। उस पर मैदान पर हर चौके-छक्के के बाद चीयर्स लीडर्स का डांस, लोग पलकें झपकाएं बिना टेलीविजन से सटे रहते हैं। लोगों को उससे मतलब नहीं कि कौन सी टीम जीत रही है और कौन सी हार रही है, उन्हें मतलब है तो नाच गाने और गाजे बाजे से। समय बीत रहा था और चेन्नई की टीम ने मुंबई इंडियन्स के सामने 157 रनों का लक्ष्य रखा। जवाब में सचिन और जयसूर्या पारी की शुरूआत करने उतरे। सचिन क्रिकेट के इस संस्करण में अपने करियर की शुरूआत कर रहे थे। जयसूर्या अभी तक के मैचों में कुछ खास नहीं कर पाए थे। सचिन तो 12 रन बनाकर चलते बने लेकिन उसके बाद जयसूर्या ने मैदान पर जो तूफान मचाया तो कमरे में बैठा हर शख्स मानो जड़ हो गया। मंत्रमुग्ध होकर सभी मनोरंजन के इस नए अवतार को निहार रहे थे। मैं बेबस और लाचार इस इंतजार में बैठा ता कि कब ये मैच खत्म हो और लोग मुझ पर नजरे इनायत करें। फिलहाल तो सभी जयसुर्या के हर चौके छक्के के बद मचने वाले शोर और चीयर्स लीडर्स के डांस का एक हिस्सा बने हुए थे। हर किसी पर जैसे एक जुनून सवार था। बल्लेबाजों को गेदं सीमा रेखा पार कराने का जुनून, गेदबाजों को विकेट उखाड़ने का जुनून, दर्शकों को मैदान पर घटने वाली हर गतिविधि का मजा लेने का जुनून। क्रिकेट कहीं पीछे छूट गया, रह गया तो केवल मनोरंजन। जोगिन्दर शर्मा ने जब सचिन के स्टमप बिखेरे तो मैदान में सन्नाटा फैल गया लेकिन जब न्हीं की गेंद पर जयसूर्या छक्के-चौके उड़ा रहे थे तो मैदान तालियों की गड़गड़हाट से गूंज रहा था। मेरा कहने का तात्पर्य ये है कि मनोरंजन के इस चक्रवात में खेल भावना भी कहीं गुम हो गई क्योंकि ये वही दर्शक हैं जो अगर मैच भारत और श्रीलंका के बीच होता तो जोगिन्दर शर्मा की गेंद पर छक्के उड़ाने वाले जयसूर्या को गालियों से नवाजते नजर आते। बहरहाल मैच खत्म हुआ मुंबई इंडियन्स ने जीत का एक और स्वाद चखा। जयसूर्या मैन ऑफ द मैच बने। दर्शक मैदान से खिसकने लगे तो कमरे का भी माहौल बदला और लोगों को मेरा ख्याल आया। हालांकि रात काफी हो चुकी थी लिहाजा मैनें संक्षेप में हालचाल के बाद घर की राह पकड़ना ही मुनासिब समझा।

Post by -
Anil Kumar Verma

2 टिप्‍पणियां:

parikrama ने कहा…

आईपीएल मैच और रिश्तों को बहुत ही अच्छे ढंग से दर्शाया गया है। वास्तव में आजकल बहुत से लोग इसी तरह की समस्या से दो चार हो रहा है। आपने जिस व्यंगात्मक लहजे से इसे पेश किया है मजा आ गया।

Wild Nj ने कहा…

ultimate very soulful writing on ipl effect.

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