बुधवार, 28 मई 2008

मां को मिला न्याय


29 मई 2008
नीतीश कटारा हत्याकांड में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को आपना फैसला सुनाया। बाहुबली सांसद डीपी यादव के बेटे और मामले के दोनों मुख्य अभियुक्तों विकास औऱ विशाल यादव को अदालत ने दोषी करार देते हुए सजा सुनाने के लिए तीस मई का दिन मुकर्रर किया। इस फैसले ने एक बार फिर न्यायपालिका में आम आदमी के भरोसे को और पुख्ता किया। इस हाईप्रोफाइल मामले से जिस तरह से रसूखदार लोगों के नाम जुड़े थे और जिस तरह से सुनवाई के दौरान न्याय प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिशें हुईं उससे पीड़ित पक्ष को न्याय मिलने को लेकर मन थोड़ा आशंकित था लेकिन एक मां की लड़ाई रंग लाई और उसके बेटे को न्याय मिला। छह साल की लंबी और थका देने वाली अदालती प्रक्रिया पर एक मां का साहस भारी पड़ा। अपने जिगर के टुकड़े को न्याय दिलाने की एक मां की द्रढ़ इच्छा शक्ति ने एक बार फिर स्थापित कर दिया कि मां की ममता से ताकतवर इस दुनिया में कुछ भी नहीं। इस मामले में जिस तरह से एक बाहुबली सांसद के बेटों की भागीदारी सामने आ रही थी तो ये बात तो साफ थी कि केस को कमजोर करने की कोशिशें होंगी औऱ हुई भीं,जिस महिला मित्र के चलते नीतीश को अपनी जान गंवानी पड़ी उसका शुरूआती बयानों से मुकरना,जिस शख्स ने अभियुक्तों के साथ आखिरी बार नीतीश को देखने का दावा किया उसका अपने दावे से पलटना,गवाहों को डराने धमकाने की कोशिशों के बीच न्याय की खातिर लड़ी जा रही एक मां की जंग आसान नहीं थी लेकिन जिस तरह से नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा मामले की हर सुनवाई के दौरान खुद कोर्ट में मौजूद रहीं वो अपने बेटे को न्याय दिलाने की उनकी जिजीविषा को दर्शाता है। तमाम चुनौतियों के बीच न्याय की ये जंग अपने अंजाम तक पहुंची तो इसके लिए न्यायपालिका और मीडिया के साथ साथ हर वो शख्स साधुवाद का पात्र है जो इस मां की लड़ाई में उसके साथ खड़ा था। यूं तो मां की ममता और उसकी महिमा को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता लेकिन फिर भी किसी कवि ह्रदय से निकली ये पंक्तियां यहां ज़रूर लिखना चाहूंगा-

मां धरती से अधिक धैर्यवान

सागर से भी गहरी

हिमालय से बडी

और

सूरज से भी अधिक

ऊर्जामयी होती है

मां धरती की तरह दरकती तो है

पर

अपनी संतानों को नहीं लीलती

जैसे

भूमि ने अपने आपमें

समाहित कर लिया था भूमिजा को।

मां हिमालय से ऊंचे कद

बडे पद की होती हैं पर

उसकी तरह कठोर नहीं होती

संवेदना पर

पानी की एक बूंद भी गिरे तो

थरथरा जाती हैं मां

बर्फ सी गलने लगती है मां

आंधियों सी चलने लगती है मां

मां सूरज भी है और

उसकी अनंत अक्षुण्य ऊर्जा भी

पर

उसकी तरह

दिन रात खटने के बाद भी नहीं थकती

चिडियों की चहचहाहट हो

या बच्चों की किलकारियां

मां कभी नहीं ऊबती

एक बार उग जाए तो कभी नहीं डूबती।

मां एक रिश्ता है, संस्कार है

मां ही सृष्टि है, संसार है

मां सृजन है, साकार है

मां तृप्ति है, मनुहार है

मां सिर्फ मां नहीं, त्योहार है

ममता का बीज, क्षमता का पेड

समता का फल

और समरसता का संसार है

मां गति है, प्रगति है, प्रकृति है, पालनहार है

मां ग्रीष्म नहीं, सावन की फुहार है

मां सनातन है, सिद्ध है, सृजनहार है

मां प्रेम है, प्रमाण है, पुरस्कार है

मां दर्द की साक्षात अवतार है।

अंत में एक मां की ममता को एक बार फिर सादर नमन।

post by-
anil kumar verma

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