रविवार, 14 सितंबर 2008

एक बार फिर


15 सितम्बर 2008

एक बार फिर दहशतगर्द अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने में कामयाब रहे। एक बार फिर तमाम निर्दोष लोग अपनी जान से हाथ धो बैंठे। एक बार फिर कुछ बच्चे अनाथ हो गए, कुछ सुहागिनें विधाव हो गईं, कुछ माओं की गोद उजड़ गई। एक बार फिर फिजा में आतंक का साया पसरा नजर आया । एक बार फिर अफरा तफरी और चीख पुकार मची, एक बार फिर लोग बदहवास से इधर उधर भागते नजर आए, एक बार फिर सारी सुरक्षा व्यवस्था के दावे खोखले साबित हुए। एक बार फिर लोगों की सुरक्षा कर पाने में पुलिस महकमा नाकाम रहा। एक बार फिर आतंकियों ने ई मेल भेजा है। जी हां एक बार फिर धमाके हए हैं। धमाके भी ऐसे वैसे नहीं सिलसिलेवार हुए हैं। वो भी देश की राजधानी बल्कि यू कहें कि राजधानी के दिल कनाट प्लेस में हुए हैं। एक बार फिर रेड अलर्ट, हाई अलर्ट का शोर गूंजा है, एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबन्द करने की कवायद की जा रही है., एक बार फिर दबिश दी जा रही है, छापेमारी हो रही है। एक बार फिर स्केच जारी हो रहे हैं, एक बार फिर कुछ गिरफ्तारियां हो रही हैं। एक बार फिर जांच हो रही है, कमेटी बन रही है। एक बार फिर प्रधानमंत्री सहित तमाम नेताओं ने धमाकों की निन्दा की है, एक बार फिर आतंक को कोसा है, एक बार फिर आतंकियों को मुंह तोड़ जवाब देने की हुंकार भरी जा रही है, एक बार फिर सभी को धैर्य से काम लेने की अपील की जा रही है। जी हां एक बार फिर धमाके हुए हैं। धमाके भी ऐसे वैसे नहीं सिलसिलेवार हुए हैं लेकिन एक बार फिर लोग सब कुछ भूल गए हैं, एक बार फिर जिन्दगी मुस्कुरा रही है, एक बार फिर नई सुबह आई है, एक बार फिर लोग अपने अपने काम पर लौट आए हैं, जी हां एक बार फिर सब कुछ शान्त हो गया है। एक बार फिर सरकार ने राहत की सांस ली है कि पहले की तरह जनता भड़की नहीं बल्कि पहले की तरह एक बार फिर धमाकों को भूलकर अपने काम में जुट गई है लेकिन सवाल ये है कि कब तक एक बार फिर हम इस तरह की घटनाओं को भूलते रहेंगे और कब तक एक बार फिर इंसानियत को ये धमाके लहुलुहान करते रहेंगे। कब तक एक बार फिर जैसी ये घटनाएं हमारे देश में दोहराई जाती रहेंगी।

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

अफसोसजनक..निन्दनीय..दुखद घटना!!!

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