शनिवार, 21 मार्च 2009

हवस की आग में झुलसते रिश्ते...


21 मार्च 09
मुंबई के मीरा रोड निवासी उस शख्स पर चढ़ा था अमीर बनने का नशा...उसकी पत्नी को भी थी पैसों की हवस...दोनों जा पहुंचे एक तांत्रिक की शरण में...तांत्रिक ने बताया उन्हें जल्द अमीर बनने का तरीका...लेकिन उस तरीके की बलि चढ़ गई दो मासूम बच्चियों की जिन्दगी...इन बच्चियों ने दौलत के पुजारी उसी पति पत्नी के आंगन में जन्म लिया था...तांत्रिक के मुताबिक अगर वो शख्स किसी नाबालिग लड़की के साथ शारीरिक संबंध बनाएगा तो लक्ष्मी उस पर जल्द मेहरबान होंगी...लालच का भूत उस शख्स पर ऐसा चढ़ा कि उसने अपनी ही बेटी के साथ बलात्कार कर डाला...एक दिन नहीं...एक महीने नहीं...एक साल भी नहीं बल्कि पूरे नौ साल तक वो अपनी मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म करता रहा...यही नहीं उस तांत्रिक ने खुद भी उस मासूम के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए...इस कृत्य के घिनौनेपन का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि ये सब उस महिला की सहमति से होता रहा जिसने उस बच्ची को अपनी कोख से जना था...अपने ही घर की बगिया में...अपने ही माली के हाथों वो फूल कुचला जाता रहा...मसला जाता रहा...पूरे नौ साल तक...लेकिन अभी और बुरा होना बाकी था...दौलत और हवस में अंधे उस शख्स ने अपनी दूसरी बेटी के साथ भी वही सब दोहराने की कोशिश की...लेकिन इस बार पहली बेटी का सब्र जवाब दे गया...उसने अपनी बहन की जिन्दगी बचाने के लिए विद्रोह कर दिया...अपनी मां की धमकियों को नजरअंदाज कर उसने अपने ननिहाल के लोगों के सामने पूरा सच बयां कर दिया...रिश्तों को शर्मसार करती इस घटना का जब खुलासा हुआ तो लोगों ने दातों तले उंगली दबा ली...आज वो तांत्रिक और वो आरोपी माता पिता (हालांकि उन्हें ये दर्जा देने का मन नहीं कर रहा ) जेल की हवा खा रहे हैं...लेकिन इस घटना के बाद एक बार फिर बहस छिड़ गई कि बेटियां अगर अपने ही घर में सुरक्षित नहीं हैं तो फिर कहां हैं...अगर घर की हवाओं मे ही हवस का जहर घुला हो तो फिर वो भरोसा किस पर करें...खून के रिश्ते ही अगर अपनी गर्मी खो दें ततो फिर बाकी रिश्तों पर यकीन कैसे कायम होगा...जिन हाथों को प्यार से सिर पर हाथ फेरना चाहिए...दुनिया की उंच नीच समझाने की कोशिश करनी चाहिए...सुरक्षा और संरक्षा का एहसास दिलाना चाहिए वही हाथ बेशर्मी पर उतर आएं तो फिर सहारा कहां मिलेगा...जिन आंखों में ममता और अपनेपन का नजारा होना चाहिए वहां हवस की लाली होगी तो फिर भरोसे के लिए बेटियां किसका मुंह देखेंगी...और सबसे बड़ा सवाल कि अगर वो मां ही दुश्मन हो जाए जिसके आंचल तले खुशियों का संसार पलता है...तो फिर बेटियां कहां जाएं...कह सकते हैं कि इस तरह के मामले केवल एक अपराध नहीं बल्कि एक बीमारी हैं...जो रिश्तों की पवित्रता और उनके एहसास को पल पल मौत दे रहे हैं...क्या सात साल की सजा देकर इसे हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है...( भारतीय कानून में बलात्कार का दोषी पाए जाने पर सात साल की सजा का प्रावधान है )...मीडिया में इस खबर के सुर्खियां बनने के बाद मैं तीन दिनों तक इस पर कुछ लिखने के लिए सोचता रहा लेकिन ना शब्द सूझ रहे थे और ना ही हिम्मत हो रही थी...अभ भी यही सोच रहा हूं कि क्या इस तरह की घटनाओं को घटने से रोका जा सकता है...क्या कोई ऐसा रास्ता है जो रिश्तों को कलंकित होने से बचा सकता है...कृपया इस ब्लॉग पर आने वाले अपनी राय जरूर बताएं।

2 टिप्‍पणियां:

sandeep sharma ने कहा…

घोर निंदनीय घटना...

बेनामी ने कहा…

घोर निंदनीय घटना...

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