शुक्रवार, 27 मार्च 2009

अलविदा-ए-दोस्त...

27 मार्च 09

अलविदा ए दोस्त जाने फिर कहां हो सामना
जा रहे हो तुम न जाने कौन बस्ती किस शहर
दरमियां बस एक पटरी चन्द डिब्बे हैं तो क्या
दूरियां हजारों मील की इनमें आईं आज उभर
पोंछ डालो आंख का पानी न देखो फिर से घूमकर
याद की खामोशियां होंगी हमारा हमसफर

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

kahan ja rahe hain aap?

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