रविवार, 29 मार्च 2009

वे जो करते हैं प्यार...


29 मार्च 09
प्यार पर सदियों से पहरा रहा है...हर रिश्ते का आधार होने के बावजूद जमाना इसका दुश्मन ही बना रहता है...इस रिश्ते में सिवाए दर्द के कुछ हाथ नहीं आता...मुश्किलें ही इस रिश्ते का साथी होती हैं...बावजूद इसके लोग प्यार करते हैं...प्यार बांटते हैं...

वे जो करते हैं प्यार
चिन दिए जाते हैं दीवारों में
सूली पर चढ़ाए जाते हैं
जहर पीते हैं
ढोते हैं अपने सलीब
आग में जलाए जाते हैं
फिर भी लोग करते हैं प्यार
देखते हैं सपने
बोते हैं फूलों के बीज
दुनिया को
और सुन्दर बनाने की कोशिश
करते हैं बार बार
वे जो करते हैं प्यार

4 टिप्‍पणियां:

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

वे जो करते हैं प्यार
चिन दिए जाते हैं दीवारों में
सूली पर चढ़ाए जाते हैं
जहर पीते हैं
ढोते हैं अपने सलीब
आग में जलाए जाते हैं
फिर भी लोग करते हैं प्यार

हाँ ज़हर भी पीते हैं, सलीब भी ढोते हैं ,जलाये भी जाते हैं फिर भी करते हैं प्यार क्योकि प्यार रब्ब है,प्यार मज़हब है, प्यार रूह है प्यार जिस्म है ,प्यार ही ख़ुशी है ...पर ये नसीब वालों को hi मिलता है ....!!

बेनामी ने कहा…

शायद यही प्यार की महिमा है कि इतनी मुश्किलों और दर्द के बावजूद लोग प्यार करते हैं...बार बार करते हैं...अच्छा लिखा...बधाई

बेनामी ने कहा…

प्यार ही वो शै है जो इस दुनिया से नफरत, घृणा और ईर्ष्या को मिटा सकती है...इसीलिए इसका दुनिया में बने रहना जरूरी है।

बेनामी ने कहा…

अच्छी कविता, बधाई।

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